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लेखनी प्रतियोगिता -11-Jun-2023


ओ हमसफर जीवनसाथी
साथ तुम्हारा मिल जाये
सारा अंधियारा मिट जाए
सारे संघर्ष सम्हल जाएं।

ओ हमसफर तुमने मेरे
बिखरेपन को आकार दिया
सम्मान दिया अभिमान दिया
मुझको निश्छल प्यार दिया।

तुमने मुझको संघर्षों से
लड़ने का आधार दिया
तुमको पाकर सारे कष्टों को
मैंने हंसकर पार किया।

तुमको मैं बतलाऊँ कितना
ये बिखरापन चुभता है
बिना हमसफ़र जीवन बिलकुल
धुंआ धुंआ सा लगता है।

उनसे पूछो जिनका साथी
बीच सफर में छूट गया 
रो भी न पाता ढंग से खुलकर
बस चुप चुप ही टूट गया।

ओ हमसफर ये रस्ते मेरे
तुमसे ही तो सजते हैं
साथ तुम्हारे ये जीवन के
रस्ते अच्छे लगते हैं।

किसको मालूम यहां मंजिल
किसको कैसे मिल पाएगी
पर हमसफर जो साथ चले
राहें मंजिल हो जाएंगी।



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7 Comments

Gunjan Kamal

13-Jun-2023 01:40 AM

👌👏

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वानी

12-Jun-2023 06:50 PM

Nice

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Abhinav ji

12-Jun-2023 09:00 AM

Very nice 👍

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